2016 के शुरू में सर्वेक्षण बताते थे कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की लहर चल रही है अगर चुनाव हो जाते, तो पार्टी भारी बहुमत से सरकार बना लेती…मगर दिल्ली में AAP मंत्रियों के नित नए कारनामे, सेक्स स्कैंडल , और मंत्रियों के फर्जीबाड़ों के खुलासे से आम आदमी पार्टी की ऐसी मिटटी पलीद हुई की पंजाब में अब जीतना तो दूर, अब प्रत्याशियों की जमानते बचने के लाले पड़ते दिखने लगे हैं !
पंजाब में भगवंत मान सपने पाल के चल रहे हैं की वो मुख्यमंत्री का चेहरा बनेगे, पर पंजाब के कुछ और वरिष्ठ नेताओं ने केजरीवाल को ऐसा न करने का दवाब बनाया है. पंजाब के अधिकतर पार्टी अधिकारी भगवंत मान को महज़ मसखरे से अधिक कुछ नहीं समझते, भगवंत मान को न राजनीती की मसझ है, न वो इसके लिए परिपक्व हैं, उल्टा भगवंत मान की शराबखोरी और पी के ड्रामे करने के विडियो पूरी सोशल मीडिया पे मशहूर हैं.
दूसरा बड़ा मुद्दा सुनने में आ रहा है की पंजाब चुनावों के लिए इकट्ठा किया हुआ बेनामी फण्ड जो कैश में पंजाब के लोगों और NRI तबके से एकत्रित किया गया था वो सब मिटटी हो गया, आप पार्टी खालिस्तानी समर्थकों को उकसा के उनके सुर में सुर मिला रही थी, जिसके चलते कुछ पंजाबी NRI ने काफी चंदा कनाडा इंग्लैंड और अमेरिका से करोड़ों में इकट्ठा किया और कैश में पार्टी को दिया, जिसका कोई हिसाब पार्टी के खाते में नहीं दिखाया गया. पंजाब में पार्टी लगभग 100 करोड़ के खर्चे जुगाड़ कर चुकी थी और अपनी रणनीति बना रही थी, पर नोटबन्दी के चलते सारे अरमानो पे पानी फिर गया. उसी की बौखलाहट में केजरीवाल रोज़ नए नए बयान मोदी के खिलाफ देते चले गए.
तीसरा नुकसान : पंजाब में केजरीवाल ने दलित कार्ड खेलने की बहुत बड़ी भूल कर दी, डिप्टी CM दलित होगा, ये एलान बहुत बड़ी राजनीतिक भूल साबित होने जा रहा है, उन्होंने अपने गैर दलित वोटर्स को बुरी तरह से नाराज़ कर दिया, क्योंकि पंजाब में दलित मात्र 33 % हैं, उनमे से भी अधिकतर अन्य पार्टियों और धड़ों में बंटे हुए हैं. BJP की पंजाब में दलित वोट पे अच्छी पकड़ा है, BJP प्रदेश अध्यक्ष विजय सांपला स्वयं दलित समुदाय से सम्बन्धित हैं जो खुद रिकॉर्ड वोटें ले के जीते हैं ! दलित वर्ग को उकसा के केजरीवाल ने अपने अन्य सामान्य वर्ग के वोटर को एक झटके में आम आदमी पार्टी से छिटक के अलग कर दिया !
पंजाब में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और AAP पार्टी को अपने असंतुष्ट और बागी नेताओं कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करना है. पार्टी के भीतर लगभग रोज़ाना ही विरोधियों के बगावती स्वर सुनाई पड़ जाते हैं. आलाकमान इस रवैये से आहत है और उबाल को ठंडा करने की कोशिश की जा रही है. इसलिए भी कि चुनाव में अब कुछ ही महीने बाकी रह गए हैं. बागी ही आम आदमी पार्टी के लिए राह का रोड़ा बन गए हैं. बगावती सुर वाले लोगों ने केन्द्रीय नेतृत्व पर निशाना साधा है.
पिछले गत मंगलवार को कार्यकर्ताओं के एक समूह ने चंडीगढ़ में जमा होकर अपनी आवाज बुलन्द की. फिरोजपुर के प्रमुख आप नेता, हरिन्दर सिंह और काबुल सिंह और जालन्धर के गुप्तेश्वर बावा की अगुवाई में कार्यकर्ताओं ने पंजाब आप के कुछ अधिकारियों पर पर भ्रष्टाचार हटाने और स्वराज लाने के अपने वादे से पीछे हटने का आरोप लगाया. पंजाब आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पंजाब में दिल्ली से रिमोट कट्रोल करने और अनजान चेहरों को जबरदस्ती थोपने का मुद्दा उठाया और कहा कि केजरीवाल को कुछ लोगों ने फंड्स दिलाने के झांसे में ले लिया है और पार्टी के लिए दिन रात मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज़ कर दिया गया है.
दिल्ली में पंजाबियों की बहुत संख्या है और पंजाब के भी अधिकतर युवाओं का ये मानना है की केजरीवाल सिर्फ ड्रामेबाज़ हैं, और पिछले 2 साल से बस गोवा, दिल्ली , गुजरात में घूम घूम के अपना समय बर्बाद कर रहे हैं, और दिल्ली वालों को उन्होंने कुछ भी नहीं दिया सिवाए लुभावने वादों के, पंजाबी युवा मान रहे हैं की पंजाब की कमान अगर आप को दे दी तो उनके वही ड्रामे और मोदी को कोसना जारी रहेगा और वो किसी और अगले राज्य में घूमते नज़र आएंगे !