2014 चुनावो के बाद, पूरे देश में हिंदुत्व के बढ़ते कदमो से कांग्रेस बुरी तरह से बौखलाई है. पंजाब में भी जैसे ही कांग्रेस जीती, हिन्दू और सिख वोटर के प्रभाव को कम करने के लिए कांग्रेस ने पूरे राज्य में खुली छूट दे दी और भारत में आज सबसे ज़यादा अगर धर्मांतरण किसी राज्य में हो रहा है तो वो है पंजाब. यही हाल कांग्रेस ने अपनी सरकारें रहते अरुणाचल, सिक्किम और मेघालय में किया और लगभग कई राज्यों में स्थानीय जनजातियों का लगभग सफाया कर दिया.
2014 की करारी हार के बाद कांग्रेस को मालूम पड़ गया है की BJP को रोकना है तो उसको हर हाल में BJP के हिन्दू वोट में सेंध मारनी होगी, इसके लिए कांग्रेस ने पिछले कुछ समय में गुपचुप तरीके से ईसाई संस्थाओं से गुप्त मंत्रणाएं की हैं और ये सुनिश्चित किया है की जिस जिस राज्य में कांग्रेस सरकार बनाएगी उस राज्ये में धमरंतरण करने वाली ईसाई संस्स्थाओं को स्थानीय जनजातियों को का धर्मांतरण करने में खुली छूट मिलेगी.
पिछले 15 वर्षों से BJP की सरकार मध्य प्रदेश में कार्यरत है, और BJP ने जबरन और लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाने वाली मिशनरी संस्थाओं पे नकेल डाल के रखा है. कोई भूला भटका ही एक आधा मुद्दा ऐसे दिखाई देता है जिसमे स्वेच्छा से किसी आदिवासी ने क्रिश्चियन धर्म अपनाया हो ! वस्तुतः ईसाई मिशनरी संस्थाएं लालच और जातिगत भेदभाव को भड़का के ही धर्म परिवर्तन करवाती हैं.
पिछले कई वर्षों से शिवरज सरकार ने इस खतरनाक एजेंडा को प्रशसनिक और राजनीतिक ततपरता से दबा के रखा है. जैसे ही कांग्रेस जीतेगी, BJP के हिन्दू और जनजातीय वोट बैंक में कांग्रेस धड़ल्ले से सेंध मारेगी और ईसाई मिशनरियों को धर्मांतरण करवाने में खुली छूट दे देगी !
साथ ही ईसाई संस्थाएं जिस वर्ग में धर्मांतरण करवाती है, धीरे धीरे उस समाज के सारे नीति नियम बदला के अपनी शिक्षा पद्धति , अपने मानदंड तय करवाने में जुट जाती हैं ताकि धामंत्रित हुए व्यक्ति का नाता पिछले धर्म और रीतियों से समाप्त हो जाये और वो नयी नई चीज़ें सीखने में उलझा रहे. विगत कई वर्षों से, कहा जाए तो लगभग आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस ने ईसाई संस्थाओं को शह देके राखी थी ताकि पूरे हिन्दू समाज को खोखला कर, मुस्लिम और ईसाई वोट बैंक के सहारे देश पे एकछत्र राज कर सके !