केजरवाल और मनीष सिसोदिया बेशक एक दूसरे के साथ राजनीतिक तौर पे साथ दिखाई देते हैं पर अंदरूनी तौर पे दोनों में कोल्ड वॉर की परिस्थितियां चलनी शुरू हो गयी हैं. कारण साफ़ है, केजरीवाल ने स्वयं तो किसी मंत्रालय की जिम्मेवारी नहीं ली, उल्टा जो मंत्री काम करते हैं और विभाग हैं उनमे हमेशा नुक्ता चीनी करते नज़र आते हैं, जैसे की केजरीवाल की आदत है, स्वयं सिद्ध परम ज्ञानी और ईमानदार, और बाकी सारे बेईमान !
मनीष सिसोदिया बहुत समय से केजरीवाल के करीबी और सहयोगी रहे हैं, परन्तु हमेशा केजरीवाल के पीछे दूसरे नम्बर का प्यादा बन के रहना आज तक उनका पीछा कर रहा है, चाहे वो NGO में साथ किया काम हो, अन्ना आन्दोलन का समय हो या फिर अब दिल्ली सरकार चलाने की जिम्मेवारी, सारे धरातली काम मनीष सिसोदिया करते नज़र आते हैं और केजरीवाल बिना कुछ किये हर काम का श्रेय खुद बटोर लेते हैं.
दोनों में अंदरूनी कोल्ड वार चाहे शब्दो से न दिखे, कई मुद्दों पे असहमति दिखे न दिखे …पर जब भी दोनों साथ होते हैं तो अंतर्मन की कोल्ड वॉर दोनों की बॉडी लैंग्वेज में स्पष्ट दिखाई देती है, दोनों एक दूसरे के साथ असहजता से अपने हाथों को बगलों में डाल लेते हैं, जिसको मनोविज्ञान की भाषा में सबकॉन्शस डिफेन्स कहते हैं !
वास्तविकता में केजरीवाल और सिसोदिया के काम करने के तरीके में जमीन आसमान का फर्क है. केजरीवाल गप्पें मार के हर काम का चालाकी से श्रेय लेते हैं, जबकि मनीष सिसोदिया धरातल पे काम करते नज़र आते हैं, दिल्ली में स्कूल, अस्पताल और मूलभूत सेवाओं में जो कुछ अच्छा हुआ है उसके सारा क्रियान्वन सिसोदिया और सरकार के अफसरों के कारण हुआ है, केजरीवाल तो घूमने फिरते सैर सपाट करने ने व्यस्त रहते हैं. पहले बंगलौर जा के नेति योग किया, फिर धर्मशाला में विप्पसना के नाम छुट्टी मारी, बाद में पंजाब में चुनाव के बहाने रैलियां की और बाद में गोवा, गुजरात , वाराणसी देश और पार्टी के नाम सैर स्पाटे करके आ गये.
सिसोदिया और कुमार विश्वास दोनों को केजरीवाल की जात पात और धर्म आधारित का मॉडल रास नहीं आ रहा, अंदरूनी सूत्रों और करीबियों की मने तो जात पात वाली राजनीती को ले के केजरीवाल और सिसोदिया में गम्भीर मतभेद हैं, सिसोदिया के अनुसार आम आदमी पार्टी की स्थापना बिना जात पात और धार्मिक विष के बिना करने के आधार पे हुई थी और केजरीवाल उसके विपरीत जा के काम करते जा रहे हैं.
पिछले कुछ दिन पहले पंजाब में केजरवाल ने उप मुख्यमंत्री दलित बनाने के ऐलान कर डाला, जिससे सिसोदिया बहुत तिलमिलाए पर सार्वजनिक मंच से कुछ बोल न पाए, उल्टा सिसोदिया ने केजरीवाल के जात पात वाले ट्वीट के प्रतिउत्तर में जात पात से दूर रह के काम करने की सलाह दे डाली !
केजरीवाल और सिसोदिया में एक मतभेद का कारण और भी है , सिसोदिया स्वामी रामदेव के करीबी हैं और दोनों अक्सर मेल मिलाप करते रहते हैं, जो केजरीवाल को बिलकुल भी गंवारा नहीं. रामदेव को ले के केजरीवाल एक दम सुन्न पड़ जाते हैं, जैसे की बाबा रामदेव ने भ्र्ष्टाचार आंदोलन हाईजैक कर लिया था, केजरीवाल को भय सताता है के कहीं उसी तरह बाबा रामदेव केजरीवाल के सारे निकट सहयोगियों को उनसे दूर न कर दें – क्या करें भैया …राजनीती है !!
Author: Viral Bharat
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