फारूक अब्दुल्ला ने भरत के साथ एक बार फिर से गद्दारी करते हुए, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने अलगाववादी गठबंधन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के साथ अपने सुर में सुर मिलाये हैं, और उनके साथ खड़े होने की घोषणा की है.
अभी पिछले दिन, अब्दुल्ला ने भड़काऊ बयान देते हुए कहा कहा कि उनकी पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और कश्मीरी लोगों के अधिकारों की मांग से जुड़े आंदोलन का समर्थन करती है. कश्मीर घाटी के सभी हुर्रियत नेताओं से एकजुट होने की अपील करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम आपके साथ हैं, हमें अपना विरोधी न समझें. हम कभी भी आपके खिलाफ नहीं हैं. हालांकि, उन्होंने ये भी कह दिया की साथ तभी तक है जब तक हुर्रियत सही रास्ते पर आगे बढ़ रही है.
फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को श्रीनगर के हजरतबल में अपने पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की 111वीं बरसी पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और उनसे हुर्रियत के आंदोलन में शामिल होने की अपील की. उन्होंने कहा, हम लोग इस आंदोलन का हिस्सा हैं. हम सब लोगों ने हमेशा कश्मीर घाटी की बेहतरी के लिए संघर्ष किया है.
इस वक्तव्य को अद्बुल्ला को राजनीतिक परेशानी से जोड़कर देखा जा रहा है, क्यंकि जब से मेहबूब मुफ़्ती केंद्र के सहयोग से घाटी में आतंक के नेटवर्क को बर्बाद करने में जुटे हुए हैं अलगाववादियों के बुरे दिन आ गए, पहले घाटी में अलगांववाद नकली भारतीय क्ररेंसीय के नेटवर्क से युवाओं को गुमराह करके इस्तेमाल करते थे, पर जब से घाटी में आतंकी नेटवर्क का सफाया होना शुरू हो गया, तब से अलगाववादी खासे परेशां हो गए और वापिस शांति लौटने लगी.
कश्मीर में लोग भी अलगाववादियों से प्रश्न करने लगे हैं की हमेशा कश्मीर के संघर्ष में सिर्फ आम कश्मीरी और गरीब ही क्यों मारा जाता है आज तक कोई अलगाववादी या उनके बेटे बेटियां या परिवार वाले इस संघर्ष में शहीद क्यों नहीं हुए ! कश्मीरी जनता अलगाववादियों और अवसरवादी राजनीतिज्ञों को पहचानने लगी है और इन्ही कारणों से अब्दुल्ला को अपनी राजनीतिक फसल उजड़ने का डर सताने लगा है.
Author: Viral Bharat
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