मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की छवि एक ईमानदार राजनेता के रूप में प्रचलित है। मुख्यमंत्री बनने से पहले जो उनकी छवि और कार्यशैली थी वो ही आज भी है। सत्ता में आने के बाद जयराम सरकार को दो साल पुरे होने वाले हैं इस अब तक के कार्यकाल में जयराम सरकार पर कोई घोटाले का आरोप नहीं है साफ़ नियत के साथ ये सरकार कार्य कर रही है। इस अब तक के कार्यकाल में जयराम सरकार ने घोटालेबाजों पर जरूर लगाम लगाई एक बड़े भ्रस्ट अफसर को निलंबित करके जेल तक पहुँचाया कई जांच से गुजर रहे है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर साफ़ कर चुके हैं गड़बड़ी करने वाले किसी भी छोटे बड़े अफसर को नहीं छोड़ा जायेगा।
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) में पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में कथित डीजल घोटाले में कुछ बड़े सबूत होने का हवाला देकर जांच बंद करने की जो सिफारिश हुई थी अब जिसे जयराम सरकार ने खारिज कर दिया है। रिपोर्ट में कमियों का हवाला देते हुए सरकार ने इसकी दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।दरअसल, भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए भी राज्यपाल को वीरभद्र सरकार के दौरान चार्जशीट सौंपते हुए कई मंत्रियों व अफसरों पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगाए थे। तो क्या माना जाए सत्ता से बाहर जाने से पहले कांग्रेस सरकार ने घोटाले के सबूत मिटा दिए थे ?
तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने तो मामले की जांच नहीं की लेकिन भाजपा की जयराम सरकार सत्तारूढ़ हुई तो चार्जशीट की जांच के आदेश दे दिए गए। भाजपा चार्जशीट में आरोप लगाए गए थे कि एचआरटीसी ने प्राइवेट पंपों से आठ करोड़ लीटर तेल भरवाया जबकि अपने पंपों से मात्र एक करोड़ लीटर ही तेल भरा गया।
इस तरह अपने पंपों की तुलना में करीब सात करोड़ लीटर तेल प्राइवेट पंपों से भरवाया गया। जांच एजेंसी ने इस संबंध में रिकॉर्ड खंगाला लेकिन कुछ ठोस नहीं मिल सका। अभी दो दिन पहले शासन में उच्च स्तर की बैठक हुई। बैठक में चर्चा के बाद सरकार ने इसे विजिलेंस को फिर से जांच के लिए भेज दिया है।
सूत्रों की मानें तो सरकार चार्जशीट में लगाए आरोपों से जुड़े मामलों को एक के बाद एक बंद करने में जल्दबाजी नहीं करना चाह रही। साथ ही यह भी नहीं चाहती कि जांच में किसी तरह की चूक रह जाए और इसका फायदा आरोपियों को पहुंचे। यही वजह है कि जांच दोबारा कराने के लिए निर्देश दे दिए गए हैं।
Author: Viral Bharat
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