जब सत्ता में कांग्रेस थी चाहए फिर वो केंद्र की कांग्रेस सरकार हो या प्रदेश की कांग्रेस सरकार।केंद्र की कांग्रेस सरकार ने एक के बाद एक जमकर घोटाले किये लेकिन आज जब सत्ता में मोदी सरकार है तो ना सिर्फ केंद्र की कांग्रेस सरकार के काले चिठे खुल रहे है बल्कि प्रदेश कांग्रेस के समय हुए कारनामे भी सामने आ रहे है !
आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग केस से जूझ रहे हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। शनिवार को ईडी ने दिल्ली की अदालत में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है और उसमें वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य को आरोपी के रूप में शामिल किया है। कोर्ट इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर 24 जुलाई को विचार करेगी। मामले में इससे पहले 25 अप्रैल को वीरभद्र सिंह पटियाला हाउस कोर्ट में पेश हुए थे। 25 अप्रैल को ही पटियाला हाउस कोर्ट ने दस्तावेजों का परीक्षण किया था।
वहीं, 22 मार्च को कोर्ट ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह समेत सभी 9 आरोपियों को 50-50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी। वहीं, 30 नवंबर 2017 को कोर्ट ने वीरभद्र सिंह और उनकी पत्नी को सुनवाई के लिए व्यक्तिगत पेशी से हमेशा के लिए छूट दे दी थी । कोर्ट ने दोनों को निर्देश दिया था कि वे आरोप तय होने के बाद कोर्ट में पेश हों।
क्या है ईडी मामला?
आपको बता दें कि आनंद चौहान को ईडी ने 8 जुलाई 2017 को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया था। मनी लॉन्ड्रिंग केस में जांच एजेंसी ने वीरभद्र सिंह, पत्नी प्रतिभा सिंह के अलावा यूनिर्वसल एप्पल एसोसिएट के मालिक चुन्नी लाल चौहान, प्रेम राज और लवण कुमार रोच को आरोप पत्र में नामजद किया है। इन पर मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम की धाराएं लगाई गई हैं।
क्या है आरोप?
ईडी का आरोप है कि वीरभद्र सिंह ने 28 मई 2009 से 18 जनवरी 2011 और 19 जनवरी 2011 से 26 जून 2012 के दौरान केंद्रीय मंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति बनाई है जो कि पूरी तरह अवैध है। ईडी के आरोप के मुताबिक काले धन को वीरभद्र ने अन्य आरोपियों और आनंद सिंह की मदद से बीमा में निवेश किया। सीबीआई की शुरुआती जांच में पाया गया कि वीरभद्र सिंह ने 6.03 करोड़ रुपये की संपत्ति बनाई है और अपने पद का दुरुपयोग किया।
Author: Viral Bharat
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