एनीमिया मुक्त भारत सूचकांक 2020-21 की राष्ट्रीय रैंकिंग में हिमाचल प्रदेश ने 57.1 स्कोर के साथ तीसरा स्थान हासिल किया है। एनीमिया मुक्त भारत सूचकांक के स्कोर कार्ड में हिमाचल वर्ष 2018-19 में 18वें स्थान पर था। जयराम सरकार के प्रयासों का असर इस बार रैंकिंग में सुधार आने से हिमाचल प्रदेश देश भर में अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।
प्रदेश में बच्चों को एनीमिया मुक्त करने के लिए रोग निरोधक आयरन और फॉलिक एसिड की खुराक प्रदान की जा रही है। स्कूल जाने वाले बच्चों की नियमित रूप से डीवर्मिंग की जा रही है। मृदा संचारित कृमि का प्रसार तीन वर्षों में 29 से घटकर 0.3 फीसदी हो गया है।
वित्त पोषित स्वास्थ्य कार्यक्रमों में आयरन और फॉलिक एसिड फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थों का अनिवार्य प्रावधान किया गया है। वर्तमान में भारत एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता के रूप में एनीमिया वाले देशों में से एक है। देश की लगभग 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं, पांच वर्ष से कम उम्र के 59 प्रतिशत बच्चे, 54 प्रतिशत किशोरियां एनीमिक हैं।
गर्भावस्था के दौरान एनीमिया प्रसवोतर रक्तस्राव, न्यूरल ट्यूब दोष, जन्म के समय कम वजन, समय से पहले जन्म, मृत शिशु जन्म और मातृ मृत्यु से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में एनीमिया से जुड़ी मॉबिडिटी और मृत्यु दर जोखिम इस स्वास्थ्य समस्या के समाधान के लिए एक प्रभावी रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है।
एनीमिया की व्यापकता में कमी से मातृ एवं शिशु जीवित रहने की दर में सुधार लाया जा सकता है। प्रधानमंत्री की व्यापक योजना के तहत एनीमिया मुक्त भारत (एएमबी) कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम में 6 से 59 महीने के बच्चों, किशोरों, 15 से 49 वर्ष की प्रजनन आयु की महिलाओं को शामिल किया है।
Author: Viral Bharat
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