ज्योतिर्विद मदन गुप्ता सपाटू का दावा है कि जब भी किसी शताब्दी के अंत में शून्य आया है। उसी कालखंड में कोई न कोई महामारी आई है, जिसने पूरे विश्व में जनता को अपना ग्रास बनाया है, लेकिन ज्योतिष को कई बार गंभीरता से नहीं लिया गया। नारद संहिता में एक श्लोक का उल्लेख करते हुए मदन गुप्ता का कहना है कि इस श्लोक में इस युग में एक बड़े महारोग के बारे हजारों साल पहले लिखा गया है कि सूर्य ग्रहण के पश्चात पूर्वी देश से एक महारोग आएगा। 26 दिसंबर, 2019 को सूर्य ग्रहण लगा और इसी के लगते ही चीन के वुहान से इस महारोग की यात्रा आरंभ हो गई। संवत 2076 वैसे भी शनि प्रधान था, जबकि 25 मार्च, 2020 को आरंभ होने वाले नवसंवत 2077 में राजा बुध और मंत्री चंद्र है।
अंकशास्त्र-4 अंक की भूमिका
मदन गुप्ता का दावा है कि अंकशास्त्र के अनुसार भी 2022 का अंक राहु का 4 है। कोरोना का पहला मरीज 4 दिसंबर, 2019 अर्थात 4 अंक वाली डेट को मिला। अब 4 महीने समाप्त होने यानी चौथे महीने के बाद ही इस महामारी से कुछ राहत मिलेगी। पूरी तरह तो पहली जुलाई के बाद ही छुटकारा होगा, परंतु 2022 राहु का साल होने से, किसी न किसी ऐसी और आपदा से इनकार नहीं किया जा सकता। उनका दावा है कि ईसा पूर्व की शताब्दियों में भी इसका उल्लेख मिलता है, परंतु लिखित रिकार्ड 1520 से मिल जाता है जब अफ्रीकी गुलामों के कारण यूरोप में चेचक और प्लेग के कारण काफी लोग मरे थे। इसके बाद 1620 में भी इसी तरह का जानलेवा संक्रमण फैला और मानव जीवन को नुकसान पहुंचा। यहां तक कि 1620 में केवल इटली में ही 17 लाख लोग प्लेग से मरे और उत्तरी अफ्रीका में 50 हजार लोग मारे गए। बुबानिक प्लेग ने भी फ्रांस में लगभग 100,000 लोगों की जान ली। फिर 1820 में थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस में हैजा फैल गया। अगली शती अर्थात 1920 में, स्पेनिश फलू जिसे इन्फलूएंजा कहा गया, फेल गया। अब 2020 में चीन के वुहान से आई, कोरोना नामक महामारी का दोगुना प्रभाव हो गया, जिससे विश्व के कितने ही देश चपेट में आ गए हैं। यह देखने में आया है कि जब भी किसी साल में 0 शून्य आया है, उस साल कोई न कोई प्लेग, हैजा, कुष्ठ रोग, तपेदिक, चेचक, फलू, एड्स, हैपीटाइटिस जैसा कोई न कोई वायरस विश्व में छाया है। साल 2020 का योग 4 आता है जो राहु का प्रतीक है। इस वर्ष प्रौद्योगिकी में विकास के साथ साथ संक्रमण से कैसे बचा जा सकता था? राहु ग्रह, त्वचा रोगों, खुजली, जहर फैलाना, क्रानिक बीमारियां, महामारी, इत्यादि का कारक होता है।
गुरु ग्रह
उनका दावा है कि यहां गुरु ग्रह की भूमिका को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। पांच नवंबर, 2019 को जैसे ही गुरु और केतु धनु राशि में आए, पूरे विश्व में एक विषैले वायरस का जन्म हो गया। 26 दिसंबर के ग्रहण ने इस में और आग लगा दी। जब देव गुरु बृहस्पति 30 मार्च को अपनी नीच राशि मकर में गोचर करेंगे, तब इसका प्रभाव बढ़ सकता है। जब देव गुरु बृहस्पति 30 मार्च को अपनी नीच राशि मकर में गोचर करेंगे, तब इसका प्रभाव बढ़ सकता है। फिर गुरु 30 जून को पुनः धनु में आ जाएंगे। कोरोना का रोना पहली जुलाई को बिलकुल समाप्त हो जाएगा।
आर्द्रा नक्षत्र
उनका दावा है कि जब से राहु ने आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश किया है, तभी से कोरोना वायरस का इस दुनिया में संक्रमण फैला है। राहु का गोचर मिथुन राशि व आद्र्रा नक्षत्र में चल रहा है। मिथुन राशि वायु तत्त्व राशि होती है और आद्र्रा का अर्थ भी नमी होता है। राहु वायरस है और इसका विस्तार वायु व नमी में ही बहुत तेजी से होता है। इसलिए राहु को मिथुन राशि व आद्र्रा नक्षत्र में सबसे ज्यादा बलशाली भी माना जाता है। आद्र्रा नक्षत्र के मध्य में इसका ज्यादा प्रभाव रहेगा और नक्षत्र के लास्ट में इसका प्रभाव कम हो जाएगा। इसका असर 14 अप्रैल से कम हो जाएगा।
Author: Viral Bharat
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