पत्नी के गहने बेच कर बनाई करोडो की कंपनी
कहते हैं की कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं और हारा वही जो लड़ा नहीं | आपके सामने कैसी भी स्थिति हो अगर आप के सपने हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं | ऐसी ही कहानी हैं अपोलो टायर्स के संस्थापक रौनक सिंह की |
शुरूआती जीवन – मूल रूप से पाकिस्तान में जन्मे रौनक विभाजन के बाद भारत आ गए और विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आने के बाद उनको बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से एक सफल समूह की स्थापना की। विभाजन से पहले रौनक का लाहौर में स्टील पाइप्स का व्यवसाय था। विभाजन के बाद वह 13 अन्य लोगों के साथ दिल्ली के गोल मार्केट में एक ही कमरे में रहा करते थे। दिल्ली में उन्होंने एक मसाले की दुकान ‘मुनिलाल बजाज एंड कंपनी’ में जीविका के लिए नौकरी की और उसके बाद अपनी पत्नी के गहने दिल्ली की चांदनी चौक में लगभग 8000 रूपए में बेचकर कोलकाता चले गए। कोलकाता जाकर उन्होंने मसाले का व्यापार किया परन्तु बाद में “भारत स्टील पाइप्स” की स्थापना की।
इसके बाद अपने अथक परिश्रम से उन्होंने धीरे-धीरे एक के बाद एक सफल उद्यम स्थापित किया। उनके जीवन में एक समय ऐसा भी था जब वह दो वक़्त की रोटी भी मुश्किल से जुटा पाते थे.
इनका उद्योग –रौनक समूह की प्रमुख कंपनियां हैं अपोलो टायर्स लिमिटेड, भारत स्टील ट्यूब्स लिमिटेड, भारत गियर्स लिमिटेड, मेनारिणी रौनक फार्मा लिमिटेड , रौनक इंटरनेशनल लिमिटेड और रौनक सिंह की रौनक मोटर वाहन| अप्पोलो टायर्स आज भारत के अग्रणी टायर निर्माताओं में से एक है। कंपनी की शुरुआत सन 1975 में छोटे स्तर से हुई जब उन्हें केरल सरकार से टायर बनाने का लाइसेंस मिला। रौनक सिंह के संघर्ष की कहानी सबके लिए एक मिसाल है, अगर हिम्मत हो तो मंज़िल पाना मुश्किल नहीं, इनके जीवन से यही प्रेरणा मिलती है !
Author: Viral Bharat
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