May 20, 2024 2:06 pm

जयराम के साथ प्रदेश के लाखों लोगों की दुवाओँ का बख़्तर है जल्द ही शिमला आएँगे सीएम जयराम,करने हैं उन्हें बड़े-बड़े काम

सोशल मीडिया के अंजुमन से कल सुबह एक ख़बर आई, हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर को अस्पताल ले जाया गया। आईजीएमसी में उनकी जाँच हुई, कल दिल्ली एम्स जाएँगे। एक तो सोशल मीडिया का सतही अप्रोच, क्या सही क्या गलत का असमंजस।

लाज़िम है लाखों चाहने वालों की पेशानी पर बल पड़ना था; सो पड़ा। किन्नौर से सिरमौर तक के लोगों फ़ोन घनघनाने लगे। हर कोई इस बात की तस्दीक़ करना चाहता था कि सच क्या है? मैने भी अपने जानने वालों के फोन घुमाए और पूरे प्रकरण के बारे में जानने की कोशिश की। पत्रकार हूँ और मुख्यमंत्री के कार्यक्रम भी कवर करता रहा हूँ एक समय तक, मुझे भी ऐसे कई फ़ोन आए जिन्हें मैं जानता तक नहीं था, शायद मेरे सोशल मीडिया अकाउंट से नम्बर लिया होगा। कई लोगों ने तो ख़बर की सत्यता के बारे में पूछा और कई लोगों ने तो यह भी पूछा एम्स! क्यों, क्या हुआ?

सूत्रों के सहारे चलने वाले हमारे धंधे में मुझे भी कई जगह से सारी बातें पता चल गयी थी। सूत्रों के मुताबिक़ हुआ कुछ यूँ था- सीएम साहब को रात में बेचैनी हुई और परिज़न उन्हें आईजीएमसी ले गए। बेचैनी या उलझन की शिकायत थी। सभी जाँचे नॉर्मल थी। बजट सत्र और अन्य कामों की लम्बी फ़ेहरिस्त के चलते सीएम अपने अन्य कार्यक्रमों को जारी रखने का फ़ैसला किया। लेकिन शुभ चिंतकों की ज़िद और डॉक्टर की सलाह पर वह एम्स गए और डाक्टर्ज़ के ऑब्ज़र्वेशन में हैं।

वैसे भी शिमला की पत्रकारिता के भागवान ही मालिक हैं, मैं सभी की क़ाबिलियत पर प्रश्न नहीं उठा रहा, लेकिन कल तो हिमाचल की पत्रकारिता ने शिमला के वर्तमान पुलिस अधीक्षक को पक्का हार्ट अटैक दे दिया होगा। जब एनआईए द्वारा हिमाचल कैडर के एक एसपी लेवल के अधिकारी की गिरफ़्तारी को हिमाचली मीडिया ने शिमला के एसपी को आतंकवादियों के साथ साँठ गाँठ के नाम पर गिरफ़्तार करने की ख़बर हिमाचल की मीडिया ने चला दी। किसी ने एक बार चेक करने की ज़हमत भी नहीं उठाई की सच में सच क्या है।
आप भी एक बार इस स्थिति को सोच सकते हैं, जब यह खबर शिमला के वर्तमान एसपी के जानने और चाहने वालों के मिली होगी तो वह शुरुआती लम्हे कितने भारी बीते होंगे। उनके परिवार के लोगों पर कैसी बिजली गिरी होगी। दिल्ली में मुझे भी फ़ोन करके लोगों ने पूछा एसपी मैडम को कैसे गिरफ़्तार कर लिया और किसी ने यह पूछा कि यह एसपी बने कब थे शिमला के।

इसी तरह की रिपोर्टिंग मुख्यमंत्री महोदय के मामले में भी हुई, किसी ने तो पहले अपना पुराना राग अलापना शुरू कर दिया कि आलाकमान ने तलब किए जयराम। फिर बाद में पता चला तो किसी ने रेफ़र लिख दिया और किसी ने एम्स में इलाज करवाने की बातें लिख दी। बिना जाने समझे इसका मतलब क्या और इसका रेफलेक्शन क्या हो सकता है। ख़ैर यह पत्रकारिता की पाठ शाला नहीं है तो इस बार बाक़ी बातें बाद में होगी।

कहने का लब्बोलुआब यह है कि एक छोटी सी सूचना से प्रदेश की जनता परेशान हो गयी कि मेरे सीएम को क्या हुआ? होगा क्यों नहीं? यह वही सीएम हैं जिंहोने अस्पताल के के खर्चे से हिमाचल प्रदेश के लोगों को मुक्ति दिलवाई है। बेसहारा लोगों के लिए सहारा योजना लेकर आए हैं। जिसकी वजह से अपने काम काज कर पाने में असमर्थ लोगों को भी एक गरिमापूर्ण जीवन मिला है।

वह मुख्यमंत्री जिसने प्रदेश के हर बड़े अस्पताल में ऑक्सिजन प्लांट लगवाए हो, हर बड़े अस्पताल में सीटी स्कैन से लेकर जाँच की सभी मशीने लगवाई हों। सैकड़ों तरह की दवाएँ निःशुल्क बँटवा रहा हो। जिसके हिम केयर की वजह से बड़ी से बड़ी बीमारियों में लोग निश्चिन्त होकर अस्पताल जा रहे हैं और फ़्री में बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज करवा रहे हैं। वह जनता अपने उस मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य सम्बंधी खबरों से भला परेशान क्यों नहीं होगा।

अस्पताल जाने पर इंसान की सबसे बड़ी चिंता यही होती हैं कहीं इस बीमारी के इलाज में जो पैसा खर्च होगा उससे उसका परिवार क़र्ज़े में तो नहीं आ जाएगा। कई ऐसे बुजुर्ग भी होते हैं जो इसी डर से अपनी बीमारियों के बारे में परिवार वालों से बताते भी नहीं थे। लेकिन हिम केयर से जब प्रदेश और उसके बाहर के अस्पतालों में बिना किसी खर्चे के गम्भीर से गम्भीर बीमारियों का उपचार होगा तो बीमार लोगों की कितनी दुवाएं ऐसी योजनाएं लागू करने वालों को लगेगी।

रहा सवाल अस्वस्थ्य होने का तो एक मुख्यमंत्री की दिनचर्या बहुत व्यस्त होती है। लगातार काम, काम और काम। सरकार का काम अलग, शासन का काम अलग, जनता से मिलना-जुलना उनकी समस्याओं को सुनना अलग। पार्टी के काम अलग, कहीं ना कहीं हो रहे चुनाव की वजह से वहाँ पर अपनी पार्टी के पक्ष में प्रचार करना अलग। कहने का मतलब एक इंसान के सौ काम। इनमे से किसी काम की उपेक्षा नहीं की जा सकती है सिवाय अपने स्वास्थ्य के। तो यहाँ भी वही हुआ होगा। ना सरकार का काम रुक सकता है, ना शासन का और ना ही जनहित का तो ज़ाहिर है अपने स्वास्थ्य की देखभाल नही हुई।

एक नेता के सर्वमान्य और स्वीकार्य होने का यही पैमाना होता है कि उसके स्वास्थ्य और छवि से जुड़ी किसी खबर से उससे जुड़े लोग परेशान हो जाते हैं। इसके बाद शुरू होता है दुवाओँ का अंतहीन सफ़र जिससे बड़ी से बड़ी बला टल जाए, फिर तो यह एक सामान्य समस्या है। इसलिए हम सभी प्रदेश वासियों की तरफ़ से उन्हें शीघ्र से शीघ्र स्वास्थ्य लाभ लेने की कामना करते हैं। प्रदेश के लाखों लोगों की दुवाएं उनके साथ हैं। वह जल्द से जल्द शिमला आएँ। अभी तो ज़रूरतमंदो के हित में उन्हें बहुत सारे काम करने हैं।

Viral Bharat
Author: Viral Bharat

From the desk of talentd writers of ViralBharat.Com

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