केजरीवाल अपनी ईमानदारी की पूरी दुनिया में घूम घूम के मार्केटिंग करते हैं, बात बात में अपनी ईमानदारी के प्रोडक्ट से जनता को रिझाने की कोशिश करते हैं. हर भाषण में उनका ये डालॉग “जब मैं इनकम टैक्स कमिश्नर था… शोले फिल्म के तर्ज पे रिपीट होता है ! केजरीवाल की रोज़ रोज़ की अटपटी हरकतों में आत्विश्वास कम और इंफीरिऑरटी काम्प्लेक्स ज़्यादा महसूस होता है , की किसी भी कीमत पे वह ये सिद्ध करना चाहते हैं की उनसे ज़्यादा महान इंसान आज तक दुनिया में पैदा ही नहीं हुआ !
मिली जानकारी के अनुसार केजरीवाल ने इनकम टैक्स अफसर रहते अपने कार्यकाल में एक भी रेड भ्र्ष्टाचार के रहते नहीं की, न ही उन्होंने किसी बड़े भ्र्ष्टाचारी राजनीतज्ञ, उद्योगपति , व्यापारी को पकड़ा. मिली जानकारी के अनुसार इनकम टैक्स अफसर होते हुए, अरविन्द केजरीवाल के पूरे कार्यकाल में एक भी मामला ऐसा सामने नहीं आया जिसमे केजीरवाल ने कोई बड़ा भ्र्ष्टाचारी पकड़ा हो, या किसी को पकड़ने के लिए शिकंजा कस हो, मतलब साफ़ है, केजरीवाल का ईमानदारी वाला बखान मात्र ढोंग का पिटारा है ! सवाल ये आता है की अगर केजरीवाल ने कभी किसी भ्र्ष्टाचारी को अपने कार्यकाल में पकड़ा ही नहीं, तो वो कौन सी ईमानदारी की गाथा अपने भाषणों में लोगों को सुनाते हैं ?
केजरीवाल ने खुद को स्वयंभू ईमानदारी का अवतार घोषित कर रखा है और सुबह शाम अपनी झूठ मूठ की ईमानदारी गाथा लोगों को भाषणों में सुनाते रहते हैं. केजरीवाल अपने आप को एक त्यागी, और देश का ईमानदार इंसान बना के प्रस्तुत करने की कोशिश में लगे रहते हैं. उनके अनुसार अगर वो पैसे के लालची होते तो कभी नौकरी न छोड़ते. पर जिस तरह का आचरण अभी तक केजरीवाल का देखने को मिला है उससे ये भी प्रतीत होता है की केजरीवाल केवल दूसरों का खोट निकाल के खुद को महान दिखाने की कोशिश करते हैं, मुख्यमंत्री होते हुए किसी भी एक विभाग का मंत्रालय अपने पास न रखना उनकी कमज़ोर आत्मशक्ति को दर्शाता है की वो किसी काम की जिम्मेवारी नहीं लेना चाहते, क्योंकि इससे उनके काम करने के तरीके पे सवाल उठ सकते हैं.
अरविंद केजरीवाल ने अपनी महानता का एक बड़ा आडंबर बना रखा है, जिसमे खुद को एक सुपर इंटेलिजेंट आईआईटी का इंजीनियर, जिसने आईएएस की नौकरी को समाज सेवा के लिए लात मार दी, ऐसे क्रांतिकारी के रूप में प्रोजेक्ट करते रहते हैं, जनता का सामने खुद को महान और दूसरों को तुच्छ बनाने का प्रयास करते हैं. जब कभी संयम टूटता है, तो सार्वजनिक रूप से गली गलौच, तू-तड़ाक करके बयानबाज़ी करने लगते हैं. अरविंद लोगों को यह यकीन दिलाना चाहते हैं कि वह जीवन के ऐशोआराम को छोड़कर राजनीति में आए हैं. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को देखकर भी यह एहसास होता है कि वे कोई राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं, बल्कि केजरीवाल के भक्त हैं. वे उनकी महानता के गीत गाते हैं और उनकी बुराइयों की तरफ़ देखना भी नहीं चाहते हैं. लेकिन सच्चाई का चरित्र ही कुछ ऐसा होता है कि वह आज नहीं तो कल, सामने आ ही जाती है.
केजरीवाल बिना काम किया, बिना कोई मंत्रालय चलाये हुए Mr. क्लीन बने रहना चाहते हैं. मतलब बिना कुछ किये ही वो सारे कामो का क्रेडिट खुद लेना चाहते हैं. यानी पूरी कामचोरी और नाम भी अपना ! सवाल यह है कि क्या अरविंद केजरीवाल की राजनीति एक ईमानदार राजनीति है या फिर यह एक अति महत्वकांशी, अति आत्मकामी व्यक्ति की सत्ता की भूख का नतीजा है, जो ऊपर से ईमानदार राजनीति का महज ढोंग कर रहा है और अंदर से देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए ऊल जलूल हरकतें करते हुए बौखलाए जा रहा है !
Author: Viral Bharat
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