May 5, 2024 9:01 pm

लोगों के स्वास्थ्य से समझौता नहीं,घटिया दवाइयां सप्लाई करने वाले जयराम सरकार में टेंडर से बाहर

आज हम बात करेंगे जयराम सरकार में सुधरते प्रदेश के स्वास्थ्य को लेकर। कोई भी राज्य तभी तरक्की करता है जब वहां की जनता स्वास्थ्य हो। जयराम सरकार के अभी दो साल पुरे नहीं हुए हैं इसके बावजूद सरकार ने एक से बढ़कर एक योजनाएं लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए शुरू की। हिमकेयर योजना की बात करे तो इस योजना के तहत 5 लाख से ज्यादा लोग अपना कार्ड बनवा चुके हैं। इस योजना में गरीब परिवारों का मुफ्त इलाज किया जाता है। अब तक ४३ हजार से ज्यादा लोग इस योजना के तहत फ्री इलाज करवा चुके है .

यही नहीं सरकार ने प्रदेश के शिमला स्थित आईजीएमसी हस्पताल में किडनी ट्रांसपलत की सुविधा शुरू करवाई जिस वजह से अब किडनी के मरीजों को लाखों खर्च करके प्रदेश से बाहर नहीं जाना पड़ता है इलाज के लिए। हार्ट ाटक स्ट्रोक के समय इस्तमाल होने वाले हजारों रुपए के इंजेक्शन को फ्री किया ताकि आम व्यक्ति की पैसे की कमी से जान न जाए। जयराम सरकार मे बहुत कम वक़्त में बहुत ज्यादा उपलब्धिया हासिल की हैं। शिखर की और हिमाचल

स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगभग सौ करोड़ की दवा खरीदारी में इस बार घटिया दवा सप्लाई करने वाली कंपनियां बाहर कर दी गई हैं। प्रदेश सरकार द्वारा इसके लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें दवा टेंडर में उन कंपनियों को जरा भी प्राथमिकता देनी तय नहीं की जाएगी, जिसक दवा सैंपल फेल हुआ है या फिर वह नियम के तहत दवा की खपत अस्पतालों में तय समय अवधि में पूरी ही नहीं कर पाए हैं।

गौर हो कि प्रदेश के अस्पतालों के लिए टेंडर आमंत्रित कर दिए गए हैं, जो जल्द ही खुलने वाले हैं। बताया जा रहा है कि भले ही उक्त कंपनियां टेंडर में शमिल हो जाएं, लेकिन जब उसे खोला जाएगा, तो उनकी गुडविल को जरूर चैक किया जाने वाला है। गौर हो कि इस बार तो हिमाचल के अस्पतालों में अब डब्ल्यूएचओ और यूएसडीए की मान्यता वाली शर्त भी लगा दी गई है।

हिमाचल स्वास्थ्य इतिहास में यह पहली बार ही हुआ है, जब दवाओं की सप्लाई में उन फर्मों को ही टेंडर में शामिल किया जा रहा है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त है। दवा गुणवत्ता को लेकर उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर हिमाचल सरकार ने बड़ी पहल की है, लेकिन उन कंपनियों को भी डंडा लगाया गया है, जिनकी दवा प्रदेश के अस्पतालों में घटिया पाई गई हैं। उन कंपिनयों पर उचित कार्रवाई की जा रही है, लेकिन यदि कंपनियां टेंडर में शामिल हुईं, तो वह टेंडर में शामिल ही नहीं की जाएगी। उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्स संगठन की मान्यता हो तो दवा की गुणवत्ता की पूरी जिम्मेंदारी संबंधित कंपनी ले लेती है। खास बात यह होती है कि उस दवा की एक पुख्ता लैब में भी सैंपल चैक समय दर समय हो पाती है।

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Author: Viral Bharat

From the desk of talentd writers of ViralBharat.Com

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