भारत के सेकुलरो के डीएनए में ही दोगलापन, जल्लीकट्टू बर्बरतापूर्ण और बकरीद सौहार्दपूर्ण !
सीधा साधा जीवन यापन जिसमे प्रकृति और जीवों का महत्त्व है ये है हिंदुत्व. दीवाली, होली, लोहड़ी, भाई दूज, गुरुपुरब बैसाख, पोंगल, …हर पर्व में गुरुजनो के संस्कारों और मान्यताओं को प्रकृति के साथ हर्ष उल्लास मनाने का मतलब हिंदुत्व. पर इस हिंदुत्व से कई राजनीतिक दलों के बड़ी चिढ़ है, क्योंकि धर्म, सन्स्क्रति पर्व सब हिंदुयों को जोड़ने का कार्य करती है और घटिया राजनीति का उद्धेश्य है मानव को मानव से तोडना ताकि शैतानी हुकूमत कायम हो !
अपने भारत में सेकुलरिज्म का मतलब हिन्दू मान्यताओं का उपहास उड़ाओ और उनको सेकुलरिज्म की आड़ में कानून के तरीके से दबाओ| सेकुलरो की मंशा भी बहुत अजीब होती हैं क्योकि उन्हें किसी एक विशेष धर्म से लगाव होता हैं और वो उसी धर्म की चीजो और परम्पराओ को सही बताते हैं बाकी दुसरे धर्म की सारी चीजे उन्हें गलत लगती हैं | किसी भी त्यौहार और धार्मिक कार्य के बारे में इनका ओपिनियन ऐसा होता हैं जिसे सोच के भी दूसरो को घिन आ जाती हैं | ऐसा ही मामला हैं जल्लीकट्टू का जो की तमिलनाडु में पिछले पांच हजार साल से खेला जा रहा हैं | इसमें सांडो के साथ छुपम छुपाई खेली जाती हैं जिसमे मैदान में काफी मात्रा में मिट्टी होती हैं और और शायद ही किसी को चोट लगती हो और लगती हैं तो वो भी नाममात्र की | लेकिन सुकोलरो को ये खेल नागवार गुजरा और उन्होंने इसकी परंपरा ना देखते हुए ये कह दिया की इसमें मासूम लोगो की जाने जाती हैं और यह बर्बरतापूर्ण हैं और पहुच गए इसके खिलाफ कोर्ट और कोर्ट ने इसमें बैन लगा दिया हैं | जाहिर हैं ये की ऐसा पहला खेल नहीं हैं, और ये एक बहुत ही पुरानी परंपरा हैं |
जलीकट्टू एक दक्षिण भारतीय पारम्परिक हिन्दू पर्व है जिधर खुले बैलों को अपने वश में करने का प्रतीक शौर्य और वीरता माना जाता है, ये एक ऐतेहासिक और सांकेतिक पर्व है जिधर युवाओं को अपने शक्ति प्रदशर्न करने का एक सुअवसर मिलता था, न तो इस पर्व में किसी बैल की हत्या होती थी न उसे जान बूझ के सताया जाता था !
परन्तु देश में ये त्रासदी है की समाज का हर त्यौहार और रीत जिसमे हिन्दू संस्कृति का समावेश है उसको किसी न किसी तरीके से कानून का लाग लपेट लगा के कठघरे में खड़ा किया जाता है और रोक लगाई जाती है ! जल्लीकट्टू में सांड के सर में कपडा बाधा जाता हैं जो इसे निकाल लेता हैं उसे पैसे या सिक्के मिलते हैं , यही जल्लीकट्टू का खेल हैं | इस खेल में ना तो किसी की जान जाती हैं और ना ही मासूम जानवरों की बलि दी जाती हैं लेकिन हमारे देश में पल रहे कुछ सेकुलरो को ये खेल पसंद नहीं आया और इसे धर्म से जोड़ दिया और उसे बंद करवाने की कोशिश में लगे हुए हैं |
अब आपको बताते हैं मुस्लिम धर्म में होने वाले बकरीद की बर्बरता किसी को नहीं दिखती हैं | बकरीद में पूरे देश में लाखो मासूम जानवरों की बलि दी जाती हैं और उनका खून बहाया जाता हैं जिससे की पर्यावरण दूषित होता हैं और हमारा समाज एक गलत विचारों में घिरता हैं | लेकिन आज तक किसी को बकरीद की यह बर्बरता दिखी ही नहीं और हर कोई बस जल्लीकट्टू के पीछे से पड गया और इसको बैन करवा दिया |
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Author: Viral Bharat
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