नोटबन्दी ने बजाया कन्हिया और हार्दिक पटेल का बैंड | Kanhaiya Kumar and Hardik Patel – Fraud Revolutionaries
आजकल कन्हिया कुमार और हार्दिक पटेल का कोई मीडिया हाउस नाम नहीं ले रहा. अब मीडिया वाले नाम लेंगे भी नहीं, क्योंकि दोनों बिकाऊ और फ्रॉड आंदोलनकारियों का देशद्रोही खेल खत्म हो चुका है. जब से नोटबन्दी लागू हुई, दोनों बिकाऊ आंदोलनकारी गधे के सींग की तरह गायब हो गए.
कन्हिया और हार्दिक, दोनों काले धन के ख्ररीदे मोहरे थे, जिनको बिना कुछ किये हुए हीरो बनने की बीमारी थी. न विपक्ष के राजनीतिज्ञ दोनों की कमज़ोरियाँ अच्छे से जानते थे और उनके आंदोलन को हवा देने के लिए दोनों के मुह में दो नंबर का पैसा ठूंस गया ताकि दोनों मोदी सरकार और बीजेपी के ऊपर लगातर भाषणबाज़ी करते रहे. अचानक नोटबन्दी के लागू होते इन दोनों नकली क्रांतिकारियों को खैरात में दिया धन मिटटी हो गया, जिसको वो कड़ी सुरक्षा निगरानी में बदली भी न करवा पाए. जब से नोटबन्दी लागु हुई, दोनों की क्रन्तिकारी स्क्रिप्ट का भी अत हो गया !
कन्हिया कुमार जैसे देशद्रोहियों को हवा देना भी भारत विरोधी मीडिया की सोची समझी रणनीति थी ! उधर गुजरात में पटेलों को बरगलाने में देशद्रोही मीडिया ने जम के हार्दिक पटेल जैसे उद्दंड और अय्याश व्यक्ति का साथ दिया. इन दोनों को विपक्षी दलों ने दिल खोल के करोड़ों रुपया काल धन दिया जो अचानक ओतेबन्दी के चलते बर्बाद हो गया और दोनों गद्दार अब नज़र नहीं आ रहे !
हार्दिक पटेल को भी विपक्षी पार्टियों ने जम के काल धन दिया, अय्याशों की तरह ज़िन्दगी जीने वाले हर्र्दिक पटेल और उसके साथी कामुकता भरी ज़िन्दगी और अय्यियाशी के गुलाम थे. इस कमज़ोरी को विपक्ष ने बहुत अच्छे से भाप लिया और पटेलों का आंदोलन ब्लैक मनी या काले धन से फाइनांस किया. वरना पटेलों का इतना शिक्षित और आर्थिक समाज आरक्षण के लिए तो बिकुल भी मांग नहीं करता था.
सब काले धन का खेल चला और हार्दिक पटेल को करोड़ों रूपये कैश में दिए गए, जिसका प्रमाण मिलते ही पटेलों ने हार्दिक पटेल से नाता तोड़ लिया. एक विडियो में हार्दिक पटेल का अपना भाई पटेल आंदोलन को भड़काने के लिए पैसे का हिसाब किताब करता दिख रहा है. आप देख सकते हैं
Author: Viral Bharat
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