हिमाचल/शिमला:
हिमाचल प्रदेश में नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में विधायकों को मत का अधिकार देने के प्रदेश सरकार के फैसले पर सियासत जारी है. वर्तमान कांग्रेस सरकार के इस फैसले को लेकर कांग्रेस और भाजपा के बीच जारी जंग अब हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है.
इस मामले पर हिमाचल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समेत तमाम बड़े नेताओं ने पहले ही प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. वहीं अब भाजपा पार्षद शैलेंद्र गुप्ता की याचिका भी प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर दी है. वहीं बुधवार को सुनवाई के बाद इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से 4 हफ्तों में जवाब दायर करने के आदेश भी दे दिए हैं. लिहाजा मामला अब कानूनी लड़ाई तक पहुंच गया है.
इस मामले में बयान बाजी भी दोनों ओर से जमकर हो रही है. सरकार के यह फरमान जारी करने के बाद भाजपा नेता राकेश जमवाल और खुद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भी सरकार पर हमला बोल चुके हैं. भाजपा नेता एक और में प्रदेश की सुख सरकार की फैसले को नियमों के खिलाफ़ बता रहे हैं. इतना ही नहीं भाजपा नेताओं ने वर्तमान सरकार के फैसले को लोकतंत्र की हत्या भी करार दिया है.
वहीं दूसरी ओर सरकार भी लगातार विपक्ष को जवाब दे रहा है. मुख्यमंत्री ने इस फैसले को लोकतंत्र की सेहत सुधारने वाला फैसला बताया है. उन्होंने इसे विधायकों की लंबे समय से चल रही मांग पर उठाया गया कदम भी करार दिया है. उधर मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान भी सरकार के फैसले पर डिफेंसिव मूड में है. नरेश चौहान पहले ही सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हुए उल्टा भाजपा पर निशाना साध चूके हैं. नरेश चौहान ने वर्तमान सरकार के इस कदम पर भाजपा के रुख को बेवजह की राजनीति बता दिया है.
खैर पक्ष और विपक्ष दोनों के अपने-अपने तर्क हैं और मामला अब प्रदेश की उच्च अदालत तक पहुंच गया है. और अब दोनों पक्ष इस मामले को लेकर आगे की लड़ाई अदालत में लड़ेंगे.