कलयुग के 10 भयानक सच, जो घटित हो रहे हैं | 10 Evil Truths About Kaliyuga
कलयुग, अर्थार्थ कलपुर्जों का युग, जिसको इंग्लिग में आयरन एज भी कहते हैं. हमारे वेद, शास्त्र गर्न्थो में कलयुग के वर्णन बहुत पहले किया था और कलयुग में कैसे मानव प्रजाति का नैतिक, शारीरिक और मानसिक पतन होगा उसका पूरा उल्लेख हमे देखने को मिलता है.
ऐसा कहा गया है, की कोई भी व्यक्ति, गीता ग्रन्थ अच्छी तरह पढ़ ले और उसका अपनी ज़िन्दगी में उन मिल्क तथ्यों का आजीवन अभ्यास करेगा उसका उद्धार होगा.
कलयुग के लिए वर्णित मुख्य 10 श्लोक और उनके तातपर्य इस तरह से हैं –
1. ततश्चानुदिनं धर्मः सत्यं शौचं क्षमा दया ।
कालेन बलिना राजन् नङ्क्ष्यत्यायुर्बलं स्मृतिः ॥
इस श्लोक का तातपर्य है कि कलयुग में धर्म, स्वच्छता, सत्यवादिता, स्मृति, शारीरक शक्ति, दया भाव और जीवन की अवधि दिन-ब-दिन घटती जाएगी, घोर इच्छाओं के कारन मानव भौतिक प्रपंचो में उलझ रहेगा और सत्कार्य करने के लिए उसके पास कोई समय नहीं होगा.
2. वित्तमेव कलौ नॄणां जन्माचारगुणोदयः ।
धर्मन्याय व्यवस्थायां कारणं बलमेव हि ॥
इसके अनुसार कलयुग वही व्यक्ति ज्ञानी और गुनी माना जायेगा जिसके पास ज्यादा धन है. न्याय और कानून सिर्फ एक शक्ति के आधार पे होगा!
3. दाम्पत्येऽभिरुचिर्हेतुः मायैव व्यावहारिके ।
स्त्रीत्वे पुंस्त्वे च हि रतिः विप्रत्वे सूत्रमेव हि ॥
इस श्लोक का अर्थ है की कलयुग में इस्त्री-पुरुष बिना विवाह के केवल रूचि के अनुसार ही रहेंगे. व्यापार धनार्जन और सफलता के लिए मनुष्य छल करेगा.
4. लिङ्गं एवाश्रमख्यातौ अन्योन्यापत्ति कारणम् ।
अवृत्त्या न्यायदौर्बल्यं पाण्डित्ये चापलं वचः ॥
इस श्लोक का अर्थ है की अनैतिक धन देने वाले व्यक्ति ही न्याय पा सकेंगे और जो धन नहीं खर्च पायेगा उसे न्याय के लिए दर-दर की ठोकरे खानी होंगी. स्वार्थी और चालाक लोगों को कलयुग में विद्वान की उपाधि मिलेगी.
5. क्षुत्तृड्भ्यां व्याधिभिश्चैव संतप्स्यन्ते च चिन्तया ।
त्रिंशद्विंशति वर्षाणि परमायुः कलौ नृणाम्
कलयुग चिंताओं का युग होगा, लोग कई तरह की चिंताओं में घिरे रहेंगे, और शरीर मन आत्मा से कमज़ोर होते चले जयनेगे, और मनुष्य की उम्र घटकर मात्र 20-30 साल की रह जाएगी.
6. दूरे वार्ययनं तीर्थं लावण्यं केशधारणम् ।
उदरंभरता स्वार्थः सत्यत्वे धार्ष्ट्यमेव हि ॥
भोजन पानी की तलाश में लोग दूर के नदी-तालाबों और पहाड़ों को तीर्थ स्थान की तरह जायेंगे और अपनी ही माता पिता का अनादर करेंगे. पुरुषों को खुले लम्बे बाल रखना खूबसूरती मानी जाएगी और लोग पेट भरने के हर तरह के अनुचित काम करेंगे.
7. अनावृष्ट्या विनङ्क्ष्यन्ति दुर्भिक्षकरपीडिताः
शीतवातातपप्रावृड् हिमैरन्योन्यतः प्रजाः ॥
अर्थार्थ कलयुग में बारिश नहीं होगी,ही सूहा और हर जगह सूखा होगा. मौसम बहुत विचित्र अंदाज़ ले लेगा. कभी तो भीषण सर्दी होगी तो कभी असहनीय गर्मी. कभी आंधी तो कभी बाढ़ आएगी और इन्ही परिस्तिथियों से लोग परेशान रहेंगे.
8. अनाढ्यतैव असाधुत्वे साधुत्वे दंभ एव तु ।
स्वीकार एव चोद्वाहे स्नानमेव प्रसाधनम् ॥
कलयुग में जिस व्यक्ति के पास धन का साधन नहीं होगा उसे लोग, बेकार और नाकारा मानेंगे, धर्म नेक कार्यों की कसूती भी केवल धन हो जायेगा. विवाह सिर्फ समझौता होगा, और लोग शुद्धि को केवल स्नान द्वारा शरीर का शुद्धिकरण समझेंगे.
9. दाक्ष्यं कुटुंबभरणं यशोऽर्थे धर्मसेवनम् ।
एवं प्रजाभिर्दुष्टाभिः आकीर्णे क्षितिमण्डले ॥
लोग मात्र दिखावे के लिए धर्म-कर्म के काम करेंगे. कलयुग दिखावे का युग होगा, और पृथ्वी में भारी मात्रा में भर्स्ट लोग पनपने लगेने लोग सत्ता या शक्ति हासिल करने के लिए किसी को मारने से भी पीछे नहीं हटेंगे.
10. आच्छिन्नदारद्रविणा यास्यन्ति गिरिकाननम् ।
शाकमूलामिषक्षौद्र फलपुष्पाष्टिभोजनाः ॥
पृथ्वी वासी अत्यधिक कर और सूखे के वजह से घर छोड़ पहाड़ों पे रहने के लिए मजबूर हो जायेंगे. कलयुग में ऐसा वक़्त आएगा जब लोग पत्ते, मांस, फूल और जंगली शहद जैसी चीज़ें खाने को मजबूर होंगे, साडी व्यवस्था धीरे धीरे चरमरा जाएगी.
गीता में श्री कृष्णा द्वारा लिखी ये बातें इस कलयुग लगभग साड़ी सच प्रतीत हो रही हैं. अपने नैतिक कार्यों में उलझे हुए भी हमे नित्य परमेश्वर का दिन मनन करना चाहिए, कमज़ोर, गरीबों की सहायता करके पूण्य कामना चाहिए. हमारे साथ विपत्ति में… जीवन में किये हुए पुण्य कार्य ही साथ देते हैं. जय श्री कृष्णा !!
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Author: Viral Bharat
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