भारत में खुद को दलितों की सबसे बड़ी बेटी बताने वाली बहन मायावती ने आंबेडकर जयंती पे अपने सैंडिल तक खोलने का कष्ट नहीं किया और महज़ औपचारिकता निभाने के लिए फूल पीएलए चढ़ के चलती बनी. वहीँ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निष्ठा और सम्मानजनक तरीके अपने जूते उतार बाबा साहेब की प्रतिमा को पुष्प अर्पित किये.
अगर ये उल्टा होता और मोदी दनदनाते हुए जूते पहन के फॉर्मेलिटी निभा देते तो शायद अभी तक देश के मीडिया ने कोहराम मैच देना था.
मायावती कांशी राम को सहारा बना के दलित राजनीती में सीढ़ियां चढ़ती गई, परन्तु जब कासनही राम स्वयं अस्वस्थ हो गए तो बहन मायावती ने पूरी पार्टी ही हाईजैक कर ली और धीरे धीरे कांशी राम को लोगों ने भुला दिया. मायावती अपनी जरूरत और समय को अपने लिए भुनाने में एक्सपर्ट हैं, और उनकी राजनीती में कैसे दलित कार्ड खेल जाता है उसकी एक्सपर्ट हैं, खुद को गरीब के बेटी बिलने वाली मायावती का सारा खेल दौलत पे टिक है जो उन्होंने दलितों से नोटमालाएँ ले के इकट्ठा किया है और उसी पैसे से अपने लिए एक राजमहल बनवा लिया !
Author: Viral Bharat
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