हिमाचल में बच्चों और बुजुर्गों को जकड़ रहा एटोपिक एक्जिमा रोग
सर्दियों में इस रोग की जद में आ रहे छोटे बच्चे, 5 महीने से 3 साल के ज्यादातर बच्चे हो रहे शिकार, बिना डॉक्टर की सलाह के नहाने के पानी में एंटी एलर्जिक दवा का प्रयोग बन रहा घातक.
शिमला के IGMC अस्पताल में केस आने हुए शुरू
हिमाचल/शिमला:
नवंबर महीने की शुरुआत के साथ ही अब सर्दियों का आगाज हो गया है. पहाड़ों पर सुबह शाम की ठंड ने दस्तक दे दी है. सर्दियां आते ही कई तरह के वायरल और बीमारियां भी सक्रिय हो गई है. विशेष तौर पर छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए ठंड का मौसम कई चुनौतियां लेकर आया है. हिमाचल के सबसे बड़े अस्पताल IGMC शिमला में रोजाना छोटे बच्चों में एटोपिक एक्जिमा (शरीर में लालगी आना, दाने निकलना, प्रभावित जगह पर सूजन और खारिश) के दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं. जिसमें 5 महीने से लेकर 3 साल तक के बच्चे शामिल हैं. शरीर में लगातार खारिश होने से रात में बच्चों का सोना तक मुश्किल हो जाता है. साथ ही 50 साल से ज्यादा की उम्र वाले लोगों में विंटर एक्जिमा की शिकायतें सामने आ रही है. इसमें डायबटीज, हाइपोथायरायडिज्म के पेशेंट को ज्यादा परेशानी होती है.
हिमाचल के सबसे बड़े IGMC अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जी. के. वर्मा HOD स्किन डिपार्टमेंट की माने तो सूखी, लाल और खुजलीदार त्वचा, शरीर में चकत्ते होना त्वचा का रंग ख़राब होना बार बार शरीर में खारिश होने से बच्चे का चिढ़ चिढ़ा हो जाना इस बीमारी की शुरुआत माना जा सकता है.
उन्होंने कहा बच्चे की त्वचा को हाइड्रेटेड रखने और त्वचा की रुकावट को बनाए रखने में मदद करने के लिए नियमित रूप से एक सौम्य, खुशबू रहित मॉइस्चराइजर का प्रयोग करें, कठोर रसायनों या सुगंध के बिना हल्के, हाइपोएलर्जेनिक साबुन का प्रयोग करें, धूल, पालतू जानवरों की रूसी से बचाव करें, बच्चे को साफ सुथरे और मुलायम कपड़े पहनाएं टाइट-फिटिंग कपड़ों से बचें, खरोंच और संभावित त्वचा क्षति से बचने के लिए बच्चे के नाखून छोटे रखें, शुष्क वातावरण में ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें.
Author: Viral Bharat
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