कोरोना वायरस (Corona Virus) ने भारत में तांडव मचाना शुरू कर दिया है. देश में अब तक कोरोना से 8 लोगों की जान जा चुकी है. ऐसे में शाहीन बाग (Shaneen Bagh) की प्रदर्शनकारी महिलाओं को भी इस बीमारी से डर लगने लगा है.
नागरिकता कानून के विरोध में बीते तीन महीने से भी ज्यादा समय से शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाएं अब प्रदर्शन छोड़कर भागने लगी हैं. यहां प्रदर्शनकारियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है. शाहीन बाग के जिस पांडाल में संविधान की दुहाई देकर संविधान की हत्या की साजिश की जा रही थी, उस पांडाल में अब गिनी चुनी महिलाएं ही दिख रहीं हैं.
प्रदर्शनकारी से भरे रहने वाले शाहीन बाग में अभी सिर्फ चा-पांच महिलाएं धरने पर बैठी हैं. पुलिस इन महिलाओं से भी प्रदर्शन खत्म करने के लिए बातचीत कर रही है. उधर, जामिया यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 7 पर जो लोग CAA और NRC के विरोध में बैठे थे वो फिलहाल हट गए हैं. निजामुद्दीन बारापुला के नीचे धरने पर बैठे लोग भी हट गए हैं. पुलिस उनसे टैंट हटाने के लिए बात कर रही है.
उधर, लखनऊ के घंटाघर के करीब बीते 66 दिनों से CAA, NRC को लेकर जारी महिलाओं का प्रदर्शन भी खत्म हो गया है. महिलाओं ने पुलिस कमिश्नर को लेटर भेज कर कहा कि कोरोना जैसी महामारी और लखनऊ लॉकडाउन होने की वजह से हम अस्थाई रूप से धरना खत्म कर रहे हैं.
प्रदर्शन खत्म करने से किया था इनकार
इससे पहले रविवार को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया था कि CAA विरोध प्रदर्शन वाली जगह पर एक पेट्रोल बम फेंका गया. आपको बता दें कि पिछले करीब तीन महीने से नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं ने पिछले हफ्ते प्रदर्शन खत्म करने से इनकार कर दिया था.
नाम मात्र महिलाएं धरना स्थल पर बचीं
रविवार को जनता कर्फ्यू की ऐतिहासिक सफलता और पीएम मोदी के प्रति लोगों में विश्वास को देखकर शाहीन बाग की महिलाएं पानी-पानी हो गयीं और नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर चल रही सियासी दुकान से दूर हो गईं. अब शाहीन बाग में वही महिलाएं बचीं हैं जिनमें देश और सविंधान की जरा भी समझ नहीं है.
Author: Viral Bharat
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