सरकारी स्कूलों में खराब रिजल्ट को लेकर CM जय राम सरकार काफी गंभीर है.यही वजह थी सरकार ने एक बड़े फैसले का ऐलान कुछ दिन पहले किया था जिसमें २५ फीसदी से कम रिजल्ट देने वाले शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोकने की तैयारी थी.पर अब सरकार इस फैसले पर विचार विमर्श करने के बाद फैसला बदलने वाली है !
दसवीं और जमा दो कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में 25 फीसदी से कम परिणाम देने वाले शिक्षकों की इंक्रीमेंट रोकने के फैसले पर सरकार अब एक बार फैसला बदलने की तैयारी में है। बीते मंगलवार शाम को सचिवालय में हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आश्वासन दिया है कि शिक्षकों की इंक्रीमेंट नहीं रोकी जाएगी। कम परिणाम देने वाले शिक्षकों को सुधार लाने के लिए आखिरी मौका दिया जाएगा।
महासंघ के प्रांत संगठन मंत्री पवन मिश्रा ने बताया कि कुछ स्कूलों में कम रिजल्ट को लेकर इंक्रीमेंट रोके जाने संबंधी फरमान से शिक्षकों में निराशा छा गई है। इंक्रीमेंट रोककर कार्रवाई की बात न्यायसंगत नहीं है। आठवीं कक्षा तक फेल न करने की व्यवस्था समेत अन्य मूलभूत संरचना में खामियां भी बड़ी कक्षाओं में कम रिजल्ट के लिए सहायक रही हैं।
शिक्षा मंत्री को सौंपे गए मांग पत्र में शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए स्कूलों में नकल की प्रवृत्ति को पूर्ण अंकुश लगाने को लेकर तीन साल तक शिक्षकों को रिजल्ट बार से बाहर रखने की मांग की गई है। पवन मिश्रा ने बताया कि इंक्रीमेंट रोके जाने संबंधी निर्णय के विपरीत प्रभाव को देखते हुए शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इसे वापस लेने का आश्वासन दिया है।
अगस्त महीने के पहले सप्ताह में प्रदेश सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं में 25 फीसदी से कम परिणाम देने वाले सभी विषय शिक्षकों की इंक्रीमेंट रोकने के आदेश दिए थे। करीब 35 शिक्षकों की इंक्रीमेंट रोक भी दी गई है।
उच्च शिक्षा निदेशालय के पास पहुंचे आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के 396 स्कूलों का इस साल 25 फीसदी से कम परिणाम रहा है। इनमें बारहवीं के 91 और दसवीं के 305 स्कूल शामिल हैं। 55 स्कूलों में एक भी विद्यार्थी पास नहीं हुआ है। बारहवीं के 16 और दसवीं के 39 स्कूलों का परीक्षा परिणाम शून्य रहा है।
Author: Viral Bharat
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