धरमपाल गुलाटी : मसालों के बेताज बादशाह
“असली मसाले सच-सच एमडीएच एमडीएच ’’ ये लाइन शायद हर इन्सान को याद् हैं लेकिन इसके पीछे की कहानी किसी को नहीं पता | तो आइये आज हम आपको बताते हैं एमडीएच मसालों के मालिक धर्मपाल गुलाटी की कहानी |
महाशय धरमपाल का जन्म 27 अर्च 1923 को सियालकोट पकिस्तान में हुआ | उनके पिता का मसालों का काम था जिसका नाम महासया –दी-हट्टी था | पांचवी क्लास में स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और लकड़ी का काम करने लगने और कभी साबुन की फैक्ट्री तो कभी चावल की फैक्ट्री में काम किया | लेकिन फिर उनके पिता ने वापिस अपने मसालों के काम में बुला लिया और 18 साल की उम्र में उनकी शादी करा दी |बटवारे के समय वो रातों रात सब कुछ छोड़ के अमृतसर आ गए और दिल्ली आ गए |
दिल्ली आके अपनी बहन के यहाँ रुके और उस समय उनके पास सिर्फ 1500 रुपये थे जिसमे 600 का तांगा खरीदा और चलाने लगे | लेकिन इसमें उनको कई सारे लोगो ने भला बुरा कहा तो ये काम छोड़ के अपने पारिवारिक व्यवसाय यानी की मसालों के बारे में सोचा | दिल्ली में अजमल रोड पर एक छोटी सी दुकान लेके मसाले बना शुरू किया और उसके ऊपर लिख दिया “ महाशया-दी-हट्टी , सियालकोट वाले ” और खुद हल्दी और मिर्ची पीसने लगे |
लोगो को पता चल गया की ये सियालकोट वालों की दूकान हैं और उनके मसालों में बहुत क्वालिटी थी | काम बढ़ता गया और धीरे धीरे कई दुकाने खोल ली और 1968 में अपने मसाले की एक फैक्ट्री खोल ली |अब काम बढ़ गया और उनके मसाले देश विदेश में बिकने लगे और इस काम को करने में बहुत मुश्किलें आई लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी |
अपने माँ बाप की याद में उन्होंने कई सारे स्कूल्स और हॉस्पिटल्स खोले और चैरिटेबल ट्रस्ट भी और आज वो मसालों के दुनिया के बेताज बादशाह हैं |
गुलाटी जी तीन बाते कहते हैं –
- इमानदार रहो
- खूब मेहनत करो
- अपने काम पे भरोसा करो
धरमपाल जी की कहानी हमें बताती हैं की जो आये वो करना चाहिए ना की जो सब कर रहे हैं वो |
Author: Viral Bharat
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