April 29, 2024 1:32 am

जब मनमोहन सिंह PM थे, सत्ता में कॉन्ग्रेस+ की सरकार थी तो उस वॉट हॉकी टीम के खिलाड़ियों को जूते तक नसीब नहीं थे

41 साल का सूखा समाप्त कर भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में पदक हासिल किया है। इसी तरह कई और खेलों में खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से देश को फख्र का मौका दिया है। इन सफलताओं के पीछे से जो कहानियाँ निकलकर आ रही हैं उसमें खिलाड़ियों के मेहनत, जज्बे और संघर्ष के साथ-साथ सरकार की तरफ से उन्हें मिला प्रोत्साहन भी है।

ऐसा नहीं है कि देश में खेल को लेकर हमेशा से सरकार का रवैया ऐसा ही रहा है। जिस तरह से इन पलों को हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीते देखा है, ऐसा शायद ही उनके किसी पूर्ववर्ती ने किया हो। मसलन, हॉकी टीम के खिलाड़ियों से सीधे बात करना, ओलंपिक दल को 15 अगस्त पर लाल किले पर विशेष अतिथि के तौर पर बुलाना वगैरह वगैरह।

कुछ समय पहले टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने कहा भी था कि अब खेलों में पहले से बेहतर सुविधाएँ मिल रही हैं। हमारे खिलाड़ियों ने सरकारी उपेक्षा और अपमान का दंश सालों तक देखा है। कई मौकों पर उनकी यह पीड़ा बाहर भी आई। एक दशक पहले साल 2011 हॉकी टीम के कप्तान ने ऐसे ही अपनी निराशा जताई थी। उस समय मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस नीत यूपीए की सरकार चल रही थी और हॉकी खिलाड़ियों को जूते भी नसीब नहीं थे।

उस समय भारतीय हॉकी टीम के कप्तान रहे राजपाल सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था, ”खिलाड़ियों के पास जूते भी नहीं हैं और वे घटिया किट का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं।” टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में सिंह ने कहा था, “यह हर कोई देख सकता है कि हॉकी टीम के खिलाड़ियों के पास पहनने के लिए जूते भी नहीं हैं। टीम को जो किट इस्तेमाल करने के लिए दी जाती हैं, वे बेहद घटिया होती हैं। क्रिकेटरों और हॉकी खिलाड़ियों के बीच काफी अंतर है।”

बताया जाता है कि राजपाल सिंह के लिए वह दौर बे​हद उतार-चढ़ाव वाला था। पाकिस्तान को हराकर एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद हॉकी इंडिया को मात्र 25,000 रुपए का इनाम दिया गया था। अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित राजपाल ने इस इंटरव्यू में कई बड़े खुलासे किए थे। उन्होंने कहा था, “हम अपने देश के लिए खेलते हैं। क्या हम सम्मान के लायक नहीं हैं? अगर आप सम्मान नहीं दे सकते हैं, तो कम से कम खिलाड़ियों को अपमानित भी न करें।”

पूर्व कप्तान उस समय हॉकी टीम के साथ हो रहे भेदभाव से बेहद निराशा थे। उन्होंने कहा था, ”फेडरेशन हमारी उम्मीदों पर खरा उतरने में विफल रहा है। राष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ इस तरह का व्यवहार करना उचित नहीं है।” जब हॉकी इंडिया ने उनके लिए 25,000 रुपए के पुरस्कार की घोषणा की तो उन्हें और खिलाड़ियों को कैसा लगा? इस सवाल के जवाब पर उन्होंने कहा था, “बात पैसों की नहीं है। 25,000 रुपए देकर उन्होंने हमारी उपलब्धि का मजाक उड़ाया है। युवाओं की एक टीम जो सभी प्रकार की बाधाओं को पार करती है और इस तरह एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीतने के लिए आगे बढ़ती है। उनके साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जा सकता है।”

राजपाल सिंह ने कहा, “अधिकारियों का हमें तुच्छ दिखाने वाला रवैया बेहद निम्न स्तरीय ​​है। यह उस टीम के आत्मविश्वास को तोड़ता है, जो हॉकी इंडिया (एचआई) को अपने अभिभावक के रूप में देखती है।” उन्होंने कहा था, “अगर हमारा प्रबंधन ही हमारे साथ इस तरह का व्यवहार करता है, तो आप दूसरों से हमारे प्रति सम्मान की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?” उस समय पूरी टीम ने खुद को निराश और अपमानित महसूस किया था।

Viral Bharat
Author: Viral Bharat

From the desk of talentd writers of ViralBharat.Com

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