April 27, 2024 11:38 am

शनिदेव को क्यों कहा जाता है न्यायाधीश ?

शास्त्रों के अनुसार भगवन शंकर शनि देव के गुरु हैं। शास्त्रों ने शनिदेव को न्यायाधीश कहकर संबोधित किया है। शनिदेव सूर्य देव तथा देवी संवर्णा (छाया) के पुत्र हैं। शास्त्रों ने इन्हें क्रूर ग्रह की संज्ञा दी है। ऐसी मान्यता है कि शनि देव मनुष्य को उसके पाप और बुरे कर्मो का दण्ड प्रदान करते हैं। सूर्य देव के कहने पर भगवान शंकर ने शनि की उदंडता दूर करने के लिए उन्हें समझाने का प्रयास किया परंतु शनि नहीं माने।

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उनकी मनमानी पर भगवान शंकर ने शनि को दंडित किया। भगवान शंकर के प्रहार से शनिदेव अचेत हो गए तब सूर्यदेव के पुत्र मोह वश भगवान शंकर से शनि के जीवन की प्रार्थना की तत्पश्चात भगवान शंकर ने शनि को अपना शिष्य बनाकर उन्हें दंडाधिकारी बना दिया। शनि न्यायाधीश की भांति जीवों को दंड देकर भगवान शंकर का सहयोग करने लगे। आज गुरू शिष्य को एक साथ प्रसन्न करने का अवसर है।

-धतूरे के पुष्प शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से संतान की प्राप्ति होती है।

-आंकड़ें के फूल शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है।

-बिल्वपत्र शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से हर इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है।

-जपाकुसुम शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से शत्रु का नाश होता है।

-बेला शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से सुंदर सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

-हर सिंगार शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।

-दुपहरियां के पुष्प शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से आभूषणों की प्राप्ति होती है।

-शमी पत्र शिवलिंग और शनिदेव पर अर्पित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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Author: Viral Bharat

From the desk of talentd writers of ViralBharat.Com

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