फर्जी दस्तावेजों से किन्नौर में जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना हासिल करने वाली ब्रैकल कॉरपोरेशन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हिमाचल सरकार ने मंगलवार को फर्जीवाड़े के इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए विजिलेंस ब्यूरो को मंजूरी दे दी।इससे पहले की पूर्व सरकारों में हिम्मत नहीं थी की वो इस तरह की करवाई करने की हिम्मत दिखाएँ लेकिन जयराम सरकार ने दिखा दिया है प्रदेश के विकास प्रदेश के साथ कोई धोखा या घोटाला करेगा उसे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर नहीं छोड़ने वाले।
प्रमुख सचिव विजिलेंस संजय कुंडू ने मंजूरी मिलने की पुष्टि की है। किन्नौर में 960 मेगावाट का जंगी थोपन बिजली प्रोजेक्ट दिसंबर 2006 में ब्रैकल कॉरपोरेशन को आवंटित हुआ था। 2009 में ब्रैकल से प्रोजेक्ट वापस ले लिया गया।
ब्रैकल से प्रोजेक्ट वापस लेने के बाद सरकार से मंजूरी लिए बिना अदानी कंपनी ने बकाया प्रीमियम जमा कर दिया, जिसे सरकार ने मंजूर नहीं किया। बाद में ब्रैकल ने पैसा वापस अदानी को लौटाने की सरकार से दरख्वास्त की।
इसी बीच, रिलायंस ने भी पेशकश की थी कि यह प्रोजेक्ट उसे दिया जाए तो अपफ्रंट प्रीमियम वह जमा कर देगा, लेकिन बाद में वो भी पीछे हट गया। इसके बाद जयराम सरकार ने कैबिनेट बैठक में प्रोजेक्ट एसजेवीएनएल को देने का फैसला ले लिया।
पिछले महीने ब्रैकल को करीब 260 करोड़ का अपफ्रंट प्रीमियम न लौटाने के फैसले पर जयराम मंत्रिमंडल ने अपनी बैठक में अंतिम मुहर भी लगा दी।
ब्रैकल मामले में दो तरह की अनियमितताएं थीं।
पहली यह कि पिछली वीरभद्र सरकार ने प्रीमियम वापसी को पहले मंजूरी दी और फिर उस फैसले को वापस ले लिया। दूसरा आरोप था कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेज लगाकर प्रोजेक्ट हासिल किया था।चूंकि, मंत्रिमंडल के फैसले को वापस ले लिया गया, ऐसे में उस मामले की जांच की जरूरत नहीं थी, लेकिन फर्जी दस्तावेज के मामले में जांच के लिए विजिलेंस ने सरकार से अनुमति मांगी थी।
Author: Viral Bharat
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