हिमाचल/शिमला : शुक्रवार को होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को लेकर ओबरॉय ग्रुप बनाम हिमाचल सरकार मामले में सुनवाई हुई. इसमें ओबेरॉय पक्ष की वकील की ओर से सुनवाई के एडजर्नमेंट की दरखास्त की गई थी. उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की बेंच में सुनवाई हुईं. जिसके बाद अब अगली सुनवाई 29 दिसंबर को होगी. वहीं इस मामले में न्यायालय ने सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा था. इसके बाद एचपीटीडीसी की ओर से वारंट ऑफ पोजिशन उच्च न्यायालय में दायर किया गया है. एचपीटीडीसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ध्रुव मेहता ने वर्चुअल इस सुनवाई में हिस्सा लिया.
सरकार ने उच्च न्यायालय में दायर किया वारंट ऑफ पोजिशन
अतिरिक्त महाधिवक्ता आई एन मेहता ने बताया कि ईस्ट इंडिया होटल लिमिटेड बनाम हिमाचल सरकार मामले में यह मामला उच्च न्यायालय में अदालत नंबर 6 में लगा था. न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की बेंच में मामले की सुनवाई हुई. उन्होंने बताया की ओबरॉय पक्ष के वकील राकेश्वर लाल सूद की तरफ से एडजर्नमेंट की दरख्वास्त की गई थी. इसके बाद मामले में अगली सुनवाई 29 दिसंबर को होगी. उन्होंने बताया कि इस बीच न्यायालय ने सरकार से पूछा था कि सरकार इस संपत्ति को लेकर क्या पोजीशन लेना चाहती है. इसको लेकर एचपीटीडीसी की ओर से वारंट का पोजीशन न्यायालय में दायर किया गया है.
प्रदेश सरकार ने होटल प्रॉपर्टी पर मांगा अधिकार
आई एन मेहता ने बताया कि प्रोपर्टी के मामले में हिमाचल प्रदेश सरकार ने अपना पक्ष साफ कर दिया है उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से एचपीटीडीसी ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में वाइल्ड फ्लावर हॉल को लेकर वारंट ऑफ पोजीशन दायर किया है जिसमें सरकार की ओर से होटल प्रॉपर्टी को पुनः अपने अधिकार में लेने की बात कही है. इससे पहले ओबेरॉय पक्ष के वकील ने कहा था कि मामला लीज डिस्प्यूट को लेकर है. सरकार ने कहीं भी प्रॉपर्टी के पुनः अधिग्रहण की बात नहीं कही है. इसके बाद सरकार की ओर से भी अधिग्रहण की बात कही गई थी. तब प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा था कि प्रदेश सरकार ने अब लिखित रूप से होटल संपत्ति को अपने अधिकार में लेने के लिए उच्च न्यायालय में अपना जवाब दायर किया है.